Aatmanirbharta in Pulses Mission – देशी की खाद्य की और दाल की आत्मनर्भरता
आत्मनिर्भरता की ओर क्यों की योजना महानी: दाल और देशी खाद्य की निर्भरता
भारत एक कृषि प्रधान देश है, और यहाँ की अधिकांश जनसंख्या आज भी कृषि पर निर्भर है। लेकिन इसके बावजूद, दालों (Pulses) के उत्पादन में भारत लंबे समय तक आत्मनिर्भर नहीं हो पाया। इसी चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने शुरू किया Aatmanirbharta in Pulses Mission, यानी दालों में आत्मनिर्भरता की ओर एक ठोस कदम।
मिशन का उद्देश्य क्या है?
Aatmanirbharta in Pulses Mission का प्रमुख उद्देश्य है:
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भारत को दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना
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विदेशी आयात पर निर्भरता कम करना
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किसानों को प्रोत्साहन और उचित मूल्य दिलाना
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उन्नत किस्मों की खेती को बढ़ावा देना
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जलवायु-अनुकूल और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाना
मिशन की शुरुआत और प्रगति
सरकार ने इस मिशन की शुरुआत 2021 में की थी, जिसमें मुख्य रूप से चना (gram), अरहर (pigeon pea), मूंग (green gram), उड़द (black gram) और मसूर (lentil) पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अंतर्गत:
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20 लाख हेक्टेयर भूमि पर अतिरिक्त दालों की खेती की योजना
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क्लस्टर बेस्ड एप्रोच को अपनाया गया
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बीज वितरण और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए गए
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किसानों को सब्सिडी और समर्थन मूल्य प्रदान किया गया
भारत की दालों की खपत और आयात पर निर्भरता
भारत में प्रतिवर्ष लगभग 270 लाख टन दालों की खपत होती है, जबकि उत्पादन लगभग 240-250 लाख टन तक सीमित रहा है। इस अंतर को पूरा करने के लिए भारत को:
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कनाडा, म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, तंजानिया जैसे देशों से दालें आयात करनी पड़ती हैं
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इससे विदेशी मुद्रा की हानि होती है
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घरेलू किसानों को नुकसान होता है क्योंकि बाजार में सस्ती आयातित दालें उनकी प्रतिस्पर्धा बनती हैं
कैसे बदलेगी तस्वीर?
Aatmanirbharta in Pulses Mission निम्न बिंदुओं के माध्यम से इस स्थिति को सुधार रहा है:
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बीजों की गुणवत्ता में सुधार: ICAR और कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग से उन्नत बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
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जैविक और टिकाऊ खेती को प्रोत्साहन: जिससे उपज भी बढ़े और पर्यावरण को नुकसान न हो।
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कृषि तकनीक का उपयोग: ड्रोन, सैटेलाइट मॉनिटरिंग, मृदा परीक्षण आदि को अपनाया गया है।
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MSP पर दालों की खरीद: न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दालों की सरकारी खरीद सुनिश्चित की जा रही है।
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क्लस्टर फॉर्मेशन: दालों की खेती के लिए उपयुक्त क्षेत्रों में समूह आधारित खेती की जा रही है।
किसानों का योगदान और अनुभव
देशभर के कई किसानों ने इस मिशन से जुड़कर न सिर्फ अपनी आमदनी बढ़ाई, बल्कि:
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दाल उत्पादन को अपने क्षेत्र में मजबूत किया
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रोजगार के अवसर बढ़ाए
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महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा मिला
उदाहरण के तौर पर, महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में किसानों ने अरहर और चने की खेती से अच्छी आमदनी प्राप्त की है।
सरकारी योजनाओं का सहयोग
Aatmanirbharta in Pulses Mission को कई योजनाओं का समर्थन प्राप्त है:
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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)
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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)
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ई-नाम (e-NAM) और कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. Aatmanirbharta in Pulses Mission क्या है?
Ans: यह एक सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य भारत को दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।
Q2. यह मिशन कब शुरू हुआ?
Ans: वर्ष 2021 में।
Q3. इस मिशन से किसानों को क्या लाभ हुआ है?
Ans: उच्च गुणवत्ता वाले बीज, MSP पर खरीद, तकनीकी सहायता, और फसल बीमा जैसी सुविधाएं मिली हैं।
Q4. भारत किन-किन देशों से दालें आयात करता है?
Ans: कनाडा, म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, और तंजानिया।
Q5. क्या यह मिशन सफल हो पाया है?
Ans: अब तक इसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं और दालों की आयात पर निर्भरता घटी है। हालांकि पूर्ण आत्मनिर्भरता की दिशा में अभी और प्रयास आवश्यक हैं।
निष्कर्ष
Aatmanirbharta in Pulses Mission भारत को दालों की खेती में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। इस मिशन से न केवल किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी, बल्कि देश को आर्थिक रूप से भी सशक्त बनाएगा। अगर यही गति बनी रही तो आने वाले वर्षों में भारत 100% दालों का आत्मनिर्भर देश बन सकता है।
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